

Wheat Seed

Wheat is a widely cultivated cereal crop belonging to the genus Triticum. It is grown for its grain, which is a staple food around the world and used in products like flour, bread, pasta, and cereals. Wheat plants typically have long slender leaves and hollow stems, with flowers grouped in spikelets that produce grains (seeds) known as kernels. These kernels contain bran, endosperm, and germ, which are sources of carbohydrates, protein, fiber, vitamins, and minerals. Wheat is adapted to temperate climates and is grown in diverse soil and weather conditions. It is one of the most important food crops globally due to its nutritional value and versatility in food products.

WHEAT SEED
VARIETY
LOK-1 | HI-1544 | HI-8759 | HI-8663 HI-8830 | HI-1650 | GW-322 | GW-273 GW-513 | HI-8713 | RAJ-4037
DBW-303 | GW-377 Research
गेहूं की अधिक पैदावार के लिये
उन्नत कृषि तकनीकों, उच्च गुणवत्ता वाले बीज, संतुलित उर्वरक, उचित सिंचाई और कीट नियंत्रण का पालन करना आवश्यक है। इससे किसानों को बेहतर उत्पादन और अधिक लाभ प्राप्त होता है।

किस्मों का चयन
किस्मों के चयन बाजार आधारित मांग, उपभोक्ता की पसंद, इसे पकाने की गुणवत्ता, निर्यातक / मिल मालिकों द्वारा की गई सराहना और पादप बचाव की न्यूनतम समस्याओं पर आधारित गुणों को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए।

बीज तथा उसका उपचार.
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बीज दर: सिंचित भूमि में 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, अनसिंचित में 125 किलोग्राम।
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बुवाई की गहराई लगभग 5±2 सेमी।
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कतारों के बीच दूरी 20-23 सेमी।
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बीज को पहले उपचारित करें और अच्छी गुणवत्ता के बीज का उपयोग करें।

पौधरोपण का सही समय
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सामान्यत: सितंबर से नवम्बर के बीच गेहूं की बुवाई की जाती है।
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यदि खेत पहले से तैयार है और मौसम अनुकूल हो, तो अक्टूबर महीने का अंतिम सप्ताह सबसे अच्छा माना जाता है।
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प्रदेश और मौसम के अनुसार यह समय थोड़ा भिन्न भी हो सकता है, लेकिन बुवाई की अंतिम तारीख अक्टूबर के मध्य से पहले होनी चाहिए, ताकि फसल पूरी तरह से पकने का समय मिल सके.

पौधरोपण की तैयारी
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खेत की गहरी जुताई कर अच्छी तरह से पलिया निकालें।
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खेत को समतल और सूखा रखें ताकि पानी न जमे।
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बेहतर उपज के लिए खेत को आवश्यकतानुसार उर्वरक लगाए और मिट्टी की टेस्टर कराकर सही पोषण स्तर ज्ञात करें।
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बीज उपचार: बीज को रोगों से बचाने के लिए ब्लीडिंग या थायराम का उपचार करें।

अधिक उत्पादन लेने के लिये आवश्यकता बातें
- कतारबद्ध बुवाई, कतारों के बीच की दूरी 20-23 सेमी रखें।
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बीज की बुवाई गहराई लगभग 5 सेमी हो।
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बीज को सीधे या मशीन द्वारा बोएं।
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सिंचाई: बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
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बेहतर पौधों के विकास के लिए समय-समय पर सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण करें।
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बीज की गुणवत्ता उच्च होनी चाहिए।
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मौसम के हिसाब से सही समय पर बुवाई करें ताकि पौधे सही ढंग से विकसित हो सकें।
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बीज बोने के समय तापमान 16-23°C के बीच हो तो अच्छा होता है।
गेहूं में बिमारियों के समाधान के लिए विशेषज्ञों से
सलाह लें ।
पोषक तत्व (उर्वरक) प्रबंधन
गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाशियम जैसे पोषक तत्व आवश्यक हैं। नाइट्रोजन पौधे की हरियाली, फॉस्फोरस जड़ विकास और पोटाशियम रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। जिंक, सल्फर और बोरॉन जैसे सूक्ष्म तत्व भी फसल की गुणवत्ता बढ़ाते हैं। बुआई के समय 50 किलो डीएपी, पहली सिंचाई में 40-50 किलो और दूसरी सिंचाई में 25-30 किलो यूरिया दें, साथ ही पहली सिंचाई में जिंक सल्फेट मिलाएं। संतुलित उर्वरक प्रबंधन से पौधे मजबूत, रोग-प्रतिरोधक बनते हैं और दाने का वजन व उत्पादन बढ़ता है।
खरपतवार नियंत्रण प्रबंधन
गेहूं की खेती में खरपतवार प्रबंधन जरूरी है ताकि उपज और गुणवत्ता बनी रहे। खेत की तैयारी में गहरी जुताई करें, फसल चक्र अपनाएं और दो लाइन या आड़ी-तिरछी बुआई करें। बुआई के तुरंत बाद या 48 घंटे के अंदर पेंडीमिथिलिन 30% EC का छिड़काव करें। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे बथुआ के लिए 20–25 दिन की फसल पर MSM आधारित दवा छिड़कें। 25–30 दिन बाद आवश्यकता अनुसार निराई करें। दवाएं उचित मात्रा में और कम वायु गति में ही छिड़कें। सही प्रबंधन से फसल पोषक तत्व और पानी की प्रतिस्पर्धा से मुक्त रहकर भरपूर उपज देती है।
कीट नियंत्रण एवं उपचार
गेहूं की खेती में खरपतवार नियंत्रण प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है ताकि फसल की उपज और गुणवत्ता बनी रहे। खेत की तैयारी के दौरान गहरी जुताई कर खरपतवार के बीज नष्ट करें और फसल चक्र अपनाएं ताकि इनके विकास में कमी आए। सही समय पर दो लाइन या आड़ी-तिरछी बुआई करें तथा जल्दी बढ़ने वाली किस्में उगाएं। रासायनिक नियंत्रण के लिए बुआई के तुरंत बाद या 48 घंटे के अंदर पेंडीमिथिलिन 30% EC का छिड़काव करें और बथुआ जैसे चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु MSM आधारित दवा 20–25 दिन की फसल पर छिड़कें। दवाएं उचित मात्रा में और वायु की गति कम होने पर ही प्रयोग करें। आवश्यकता होने पर 25–30 दिन बाद मैनुअल निराई करें

नोट : किसी किस्म की पैदावार वहां की जलवायुए मिट्टी वह किसान की मेहनत पर निर्भर करती है किसी भी फसल की कम या ज्यादा पैदावार के लिए कंपनी की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी
